March 13, 2016
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दीयो के लीये बाती जैसे
अन्धो के लीये लाठी जैसे
प्यासे के लीये पानी जैसे
बच्चे के लीये नानी जैसे
लेखक के लीये कलम जैसे
बीमार के लीये मलम जैसे ...


जो नही ज़मी से कम...
अजीब अपनी महोब्बत है..
अजीब इसके सितम..
सोचुँ तो नहीं जिन्दगी तुमसे ज्यादा...
सोचुँ तो नहीं तुम जिन्दगी से कम..

 मैं तुझको भुल के जिन्दा रहुँ, खुदा ना करे..
रहेगा साथ तेरा प्यार जिन्दगी बन कर..
ये और बात मेरी जिन्दगी वफा ना करे..

ये ठीक है नही मरता कोई जुदाई में..
खुदा किसी को किसी से मगर जुदा ना करे..
सुना है उसको महोव्त दुआऐं देती है..
जो दिल पे चोट तो खाऐ मगर गिला ना करे..

अगर वफा पे भरोसा रहे ना दुनीया को..
तो कोई शख्स महोव्त का होसला ना करे..
बुझा दिया हो नसीबों ने मेरे प्यार का चाँद..

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