रुठुंगा अगर तुजसे तो इस कदर रुठुंगा की ,, ये तेरीे आँखे मेरी एक झलक को तरसेंगी !!
“दम” कपड़ो में नहीं,जिगर में रखो….बात अगर कपड़ो में होती तो,सफ़ेद कफ़न में,लिपटा हुआ मुर्दा भी “सुल्तान मिर्ज़ा” होता.
चेहरे पर मेरे तुम दाग से लगते हो । आइना देखूं तो अफताब से लगते हो ।।
लाखो की हंसी तुम्हारे नाम कर देंगे ! हर खुशी तुम पे कुर्बान कर देंगे । आये अगर हमारे प्यार मे कोई कमी तो कह देना । इस जिन्दगी को आखरी सलाम कह देंगे ।
"इश्क" का धंधा ही बंघ कर दिया साहेब।.... मुनाफे में “जेब” जले.. और घाटे में “दिल”!!!!
बिकती है ना ख़ुशी कहीं, ना कहीं गम बिकता है. लोग गलतफहमी में हैं, कि शायद कहीं मरहम बिकता है..
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