रिश्ते अहसास के होते है !
अगर अहसास हो तो अजनबी भी अपने होते है
और अगर अहसास नही
तो अपने भी अजनबी होते है !
"धूप और छाँव कि पतली लकीर पर खड़ा हूँ -
दोनों पार यादें हैं सपने हैं उम्मीदें हैं और है बहता हुआ वक्त भी......!!
क्या अज़ीब सी जिद्द है..
हम दोनों की,
तेरी मर्ज़ी हमसे जुदा होने की...
और हमारी तुम्हारे पीछे
बर्बाद होने की।
अगर अहसास हो तो अजनबी भी अपने होते है
और अगर अहसास नही
तो अपने भी अजनबी होते है !
"धूप और छाँव कि पतली लकीर पर खड़ा हूँ -
दोनों पार यादें हैं सपने हैं उम्मीदें हैं और है बहता हुआ वक्त भी......!!
क्या अज़ीब सी जिद्द है..
हम दोनों की,
तेरी मर्ज़ी हमसे जुदा होने की...
और हमारी तुम्हारे पीछे
बर्बाद होने की।
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