जो पागलपन की हद से न गुजरे वो प्यार कैसा,
होश में रह कर तो रिश्ते निभाये जाते हैं गालिब..
होश में रह कर तो रिश्ते निभाये जाते हैं गालिब..
Jo pagalpan ki had se na gujre vo pyaar kaisa,
hosh mai rah kar to rishte nibhaye jaate hai gaalib.
कौन कहता है की ज़िन्दगी बहुत छोटी है,
सच तो ये है की हम जीना ही देर से शुरू करते हैं..
Kaun kahta hai ki zindagi bahut choti hai,
sach to ye hai ki hum jina hi der se shuru karte hai..
लगता था ज़िन्दगी को बदलने में वक़्त लगेगा,
पर क्या पता था बदलता हुआ वक़्त ज़िन्दगी बदल देगा..
Lagta tha zindagi ko badlne mai waqt lagega,
par kya pata tha badlta hua waqt zindagi badal dega..
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