April 01, 2016
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जिंदगी देने वाले, मरता छोड़ गये;
अपनापन जताने वाले तन्हा छोड़ गये;
जब पड़ी जरूरत हमें अपने हमसफर की;
वो जो साथ चलने वाले रास्ता मोड़ गये।

इंसान के कंधों पर ईंसान जा रहा था;
कफ़न में लिपटा अरमान जा रहा था;
जिन्हें मिली बे-वफ़ाई महोब्बत में;
वफ़ा की तलाश में श्मशान जा रहा था।

ना पूछ मेरे सब्र की इंतहा कहाँ तक है;
तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक है;
वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी;
हमें तो देखना है, तू बेवफ़ा कहाँ तक है।

आग दिल में लगी जब वो खफ़ा हुए;
महसूस हुआ तब, जब वो जुदा हुए;
करके वफ़ा कुछ दे ना सके वो;
पर बहुत कुछ दे गए जब वो बेवफ़ा हुए!

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