April 13, 2016
0
इससे ज्यादा बेरहमी की इन्तहा और क्या होगी ग़ालिब बाप ने लड़के को पीटने की बजाय उसका नेट कनेक्शन बंद करा दिया ।

गुजर जाएगा ये दौर भी ज़रा इत्मीनान तो रख जब ख़ुशी ही ना ठहरी तो ग़म की क्या औकात है।

जज्ब-ए-इश्क सलामत है तो इन्शा अल्लाह, कच्चे धागे में चले आयेंगे सरकार बंधे।

"कर लेता हूँ बर्दाश्त हर दर्द इसी आस के साथ.. की खुदा नूर भी बरसाता है ... आज़माइशों के बाद".!!!

शुबह हुई कि छेडने लगा है सूरज मुझको । कहता है बडा नाज़ था अपने चाँद पर अब बोलो ।। 

ज़िन्दगी बदलने के लिए लड़ना पड़ता है और आसान करने के लिए समझना पड़ता है....!!

0 comments:

Post a Comment

:) :)) ;(( :-) =)) ;( ;-( :d :-d @-) :p :o :>) (o) [-( :-? (p) :-s (m) 8-) :-t :-b b-( :-# =p~ $-) (b) (f) x-) (k) (h) (c) cheer
Click to see the code!
To insert emoticon you must added at least one space before the code.