वो जिसकी याद मे हमने
खर्च दी जिन्दगी अपनी।
वो शख्श आज मुझको
गरीब कह के चला गया ।।
न पूछो हालत मेरी रूसवाई के बाद,
मंजिल खो गयी है मेरी, जुदाई के बाद,
नजर को घेरती है हरपल घटा यादों की,
गुमनाम हो गया हूँ गम-ए-तन्हाई के बाद!!
अपना होगा तो सता के मरहम देगा,
जालिम होगा अपना बना के जख्म देगा,
समय से पहले पकती नहीं फसल,
अरे बहुत बरबादियां अभी मौसम देगा|
खर्च दी जिन्दगी अपनी।
वो शख्श आज मुझको
गरीब कह के चला गया ।।
न पूछो हालत मेरी रूसवाई के बाद,
मंजिल खो गयी है मेरी, जुदाई के बाद,
नजर को घेरती है हरपल घटा यादों की,
गुमनाम हो गया हूँ गम-ए-तन्हाई के बाद!!
अपना होगा तो सता के मरहम देगा,
जालिम होगा अपना बना के जख्म देगा,
समय से पहले पकती नहीं फसल,
अरे बहुत बरबादियां अभी मौसम देगा|
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