ज़ख़्म जब मेरे सिने के भर जाएँगे;
आँसू भी मोती बनकर बिखर जाएँगे;
ये मत पूछना किस किस ने धोखा दिया;
वरना कुछ अपनो के चेहरे उतर जाएँगे।
चेहरों के लिए आईने कुर्बान किये है;
इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये है;
महफ़िल में मुझे गालियाँ देकर है बहुत खुश;
जिस शख्स पर मैंने बड़े एहसान किये है।
जीने की तमन्ना बची कहाँ है;
भुलाया जो है हमें आपने;
यह तो बेवफ़ाई की हद ही है;
जिसे पार किया था हमने।
फ़र्ज़ था जो मेरा निभा दिया मैंने;
उसने माँगा वो सब दे दिया मैंने;
वो सुनके गैरों की बातें बेवफ़ा हो गयी;
समझ के ख्वाब उसको आखिर भुला दिया मैंने।
ना मिलता गम तो बर्बादी के अफसाने कहाँ जाते;
दुनिया अगर होती चमन तो वीराने कहाँ जाते;
चलो अच्छा हुआ अपनों में कोई ग़ैर तो निकला;
सभी अगर अपने होते तो बेगाने कहाँ जाते।
लम्हा लम्हा सांसें ख़तम हो रही हैं;
ज़िंदगी मौत के पहलू में सो रही है;
उस बेवफा से ना पूछो मेरी मौत की वजह;
वो तो ज़माने को दिखाने के लिए रो रही है।
आँसू भी मोती बनकर बिखर जाएँगे;
ये मत पूछना किस किस ने धोखा दिया;
वरना कुछ अपनो के चेहरे उतर जाएँगे।
चेहरों के लिए आईने कुर्बान किये है;
इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये है;
महफ़िल में मुझे गालियाँ देकर है बहुत खुश;
जिस शख्स पर मैंने बड़े एहसान किये है।
जीने की तमन्ना बची कहाँ है;
भुलाया जो है हमें आपने;
यह तो बेवफ़ाई की हद ही है;
जिसे पार किया था हमने।
फ़र्ज़ था जो मेरा निभा दिया मैंने;
उसने माँगा वो सब दे दिया मैंने;
वो सुनके गैरों की बातें बेवफ़ा हो गयी;
समझ के ख्वाब उसको आखिर भुला दिया मैंने।
ना मिलता गम तो बर्बादी के अफसाने कहाँ जाते;
दुनिया अगर होती चमन तो वीराने कहाँ जाते;
चलो अच्छा हुआ अपनों में कोई ग़ैर तो निकला;
सभी अगर अपने होते तो बेगाने कहाँ जाते।
लम्हा लम्हा सांसें ख़तम हो रही हैं;
ज़िंदगी मौत के पहलू में सो रही है;
उस बेवफा से ना पूछो मेरी मौत की वजह;
वो तो ज़माने को दिखाने के लिए रो रही है।
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