यादों की किम्मत वो क्या जाने; जो ख़ुद यादों को मिटा दिए करते हैं, यादों का मतलब तो उनसे पूछो जो, यादों के सहारे जिया करते हैं!
‘मैं जहां रहूं, मैं कहीं भी हूं, तेरी याद साथ है। किसी से कहूं, के नहीं कहूं, ये जो दिल की बात है। कहने को साथ अपने, एक दुनिया चलती है। पर झुक के इस दिल में, तन्हाई पलती है। तेरी याद… साथ है, तेरी याद साथ है।
ये मत कहना कि तेरी याद से रिश्ता नहीं रखा; मैं खुद तन्हा रहा मगर दिल को तन्हा नहीं रखा; तुम्हारी चाहतों के फूल तो महफूज़ रखे हैं; तुम्हारी नफरतों की पीड़ को ज़िंदा नहीं रखा!
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