January 30, 2016
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तेरी सूरत से किसी की नहीं मिलती सूरत हम जहाँ में तिरी तस्वीर लिए फिरते हैं

रोज़ खाली हाथ जब घर लौट कर जाता हूँ मैं मुस्करा देते हैं बच्चे और मर जाता हूँ मैं

ख़ुशियाँ तो उँगलियों पे कई बार गिन चुके पर ग़म हैं बेशुमार, ग़मों का हिसाब क्या

जाने कितनी उड़ान बाक़ी है इस परिन्दे में जान बाक़ी है

हमसे क्या पूछते हो हमको किधर जाना है हम तो ख़ुशबू हैं बहरहाल बिखर जाना है

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