March 25, 2016
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तू बेशक अपनी महफ़िल में मुझे बदनाम करती हैं…
लेकिन तुझे अंदाज़ा भी नहीं कि वो लोग भी मेरे पैर छुते है
जिन्हें तू भरी महफ़िल में सलाम करती है

बारुद जैसी है मेरी शक्शीयत ..
जहा से गुजरता हुं,
लोग जलना शुरु कर देते हैं !!

मैं बड़ो कि इज़्जत इसलिए करता हु,
क्यूंकि उनकी अच्छाइया मुझसे ज़्यादा है..
और छोटो से प्यार इसलिए करता हु,
क्यूंकि उनके गुनाह मुझसे कम…

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