April 03, 2016
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ज़रा सा दिल दुखा है मगर नफरत नहीं होती 
तेरे ज़ुल्मो से ओ जाने जाना मुझे हैरत नहीं होती

मुकर जाने का कातिल ने निराला ढंग निकाला है, 
हरेक से पूछता है की उसको किसने मार डाला है !!

मुस्कुराने से शुरू.. और रुलाने पर खत्म...
ये एक जुल्म है जिसे लोग महोब्बत कहते है..

मुस्कुराने की आदत भी कितनी महँगी पड़ी हमे
छोड़ गया वो ये सोच कर की हम जुदाई मे भी खुश हैं!

बडी देर कर दी मेरा दिल तोडने में,
न जाने कितने शायर आगे चले गये !!

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