February 08, 2016
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रुठुंगा अगर तुजसे तो इस कदर रुठुंगा की ,, ये तेरीे आँखे मेरी एक झलक को तरसेंगी !!

“दम” कपड़ो में नहीं,जिगर में रखो….बात अगर कपड़ो में होती तो,सफ़ेद कफ़न में,लिपटा हुआ मुर्दा भी “सुल्तान मिर्ज़ा” होता.

चेहरे पर मेरे तुम दाग से लगते हो । आइना देखूं तो अफताब से लगते हो ।।

लाखो की हंसी तुम्हारे नाम कर देंगे ! हर खुशी तुम पे कुर्बान कर देंगे । आये अगर हमारे प्यार मे कोई कमी तो कह देना । इस जिन्दगी को आखरी सलाम कह देंगे ।

बिकती है ना ख़ुशी कहीं, ना कहीं गम बिकता है. लोग गलतफहमी में हैं, कि शायद कहीं मरहम बिकता है..

मेरे मिज़ाज को समझने के लिए, बस इतना ही काफी है, मैं उसका हरगिज़ नहीं होता..... जो हर एक का हो जाये।

वफादार और तुम....?? ख्याल अच्छा है, बेवफा और हम......?? इल्जाम भी अच्छा है....!!

नींद आए या ना आए, चिराग बुझा दिया करो, यूँ रात भर किसी का जलना, हमसे देखा नहीं जाता....!!!!

इससे ज्यादा बेरहमी की इन्तहा और क्या होगी ग़ालिब बाप ने लड़के को पीटने की बजाय उसका नेट कनेक्शन बंद करा दिया ।

कोहराम मचा रखा है । जनवरी की सर्द हवावों ने और एक तेरे दिल का मौसम है । जो बदलने का नाम ही नही लेता!!!!

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