April 17, 2016
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ऐ दोस्त कभी ज़िक्र-ए-जुदाई न करना;
मेरे भरोसे को रुस्वा न करना;
दिल में तेरे कोई और बस जाये तो बता देना;
मेरे दिल में रह कर बेवफाई न करना।

तू है मुझमें शामिल इस तरह;
तेरा तसव्वर ज़िक्र भी करूँ किस तरह;
चाहे दूर सही लेकिन तू है इस दुनिया में;
तेरी उम्मीद रहते हुए मैं मरुँ किस तरह।

तुझे पाने की आरज़ू में तुझे गंवाता रहा हूँ;
रुस्वा तेरे प्यार में होता रहा हूँ;
मुझसे ना पूछ तू मेरे दिल का हाल;
तेरी जुदाई में रोज़ रोता रहा हूँ।

वो मिल जाते हैं कहानी बनकर;
दिल में बस जाते हैं निशानी बनकर;
जिन्हें हम रखते हैं आँखों में;
जाने वो क्यों निकल जाते हैं पानी बनकर।

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